गोवर्धन पूजा के अगले दिन भाई दूज या यम दीतिया मनाई जाती है ।
इस दिन प्रत्येक पुरुष को अपनी छोटी बहिन के घर भोजन करना चाहिए , अगर छोटी बहन न हो तो बड़ी या रिश्ते की किसी भी बहन के यहाँ भोजन करना चाहिए , इस दिन प्रत्येक व्यक्ति यदि विवाहित है तो अपनी पत्नी सहित अपने बहन के यहाँ जाये प्रेम से भोजन करें उसके बाद यथाशक्ति अपनी बहन को भेंट दें और तिलक कराएँ तो उसके सौभाग्य में वृद्धि होती है ।इस दिन सभी बहनों को अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनके दीर्घायु की कामना करनी चाहिए ।
इस दिन के लिए स्वयं यमराज ने कहा है की जो व्यक्ति आज के दिन यमुना में स्नान करके बहन के घर उसका पूर्ण श्रद्धा से पूजन करके अपने तिलक करवाएंगे अपनी बहन को पूर्णतया संतुष्ट करेंगे उसके हाथ से बनाया भोजन प्रेम पूर्वक करेंगे वे कभी भी अकाल म्रत्यु को प्राप्त करके मेरे दरवाजे को नहीं देखेंगे । यमराज जी कहते है की इस दिन किसी भी पुरुष को अपने घर में किसी भी दशा में भोजन नहीं करना चाहिए । श्री सूर्य भगवान ने तो यहाँ तक कहा है की जो मनुष्य यम दीतिया के दिन बहन के हाथ का भोजन नहीं करता है उसके साल भर के सभी पुण्य नष्ट हो जाते है ।
आविवाहित बहन के होने पर उसी बहन के हाथों का ही बना भोजन करना चाहिए ।
सनतकुमार संहिता में कहा गया है की जो स्त्री कार्तिक शुक्ल पक्ष की दीतिया को अपने भाई को आदरपूर्वक बुलाकर सुरुचि पूर्वक भोजन कराती है तथा भोजन के बाद उसे पान खिलाती है वह सदा सुहागन रहती है , साथ ही ऐसी बहन के भाई को भी दीर्घ आयु की प्रप्ति होती है .इस लिए इस दिन बहन के हाथों से पान जरुर खान चाहिए ।
लिंग पूरण में वर्णित है की जो कन्या / स्त्री इस दिन अपने भाई का पूजन करके उसको तिलक नहीं लगाती है उसका सम्मान नहीं करती है वह सात जन्म तक बिना भाई के ही रहती है ।
भईया दूज के शुभ मुहूर्त 2016
दिन की चर की चौघड़िया -----प्रात: काल 09.00 से 10.30 तक
दिन की लाभ चौघड़िया ----- प्रात: काल 10.30 से 12.00 तक
दिन की अमृत चौघड़िया ---- मध्यान 12.00 PM To 1.30 तक
अत बहने अपने भाइयो को 09.00 से लेकर 1.30 बजे तक शुभ चौघड़िया के अनुसार भी टीका लगा सकती है |
इसी तरह 1 नवम्बर मंगलवार को भईया दूज में भाइयों को तिलक करने का शुभ मुहूर्त भाई दूज टीका मुहूर्त =13.15 से 15.26 तक अवधि = 2 घण्टे 11 मिनट्स अत: इस समय बहनो को अपने भाईयों को तिलक करना चाहिए ।
इस दिन राहु काल (अशुभ समय) दिन -3:00 से 4:30 तक है अतः राहु काल में बहनो को भाइयो को टीका बिलकुल भी नही लगना चाहिए
भाई दूज में रखे ध्यान
भाई दूज के दिन भाइयों को अपनी बहनो के यहाँ जाकर टीका लगवाना चाहिए।
भाई दूज के दिन भाइयों को अपनी बहनो के घर में ही भोजन करना चाहिए अपने घर में नहीं ।
भाई दूज भाई - बहन के स्नेह का, सौभाग्य का पवित्र पर्व है अत: इस दिन शुभ मुहूर्त का अवश्य ही ध्यान दें , टीका सदैव शुभ मुहूर्त में ही टीका लगवाना चाहिए।
बहने अपने भाइयों को टीका लगाते हुए यह ध्यान रखे कि भाइयों का मुखँ पूर्व दिशा की ओर हो , टीका लगाते हुए भाई एवं बहन दोनों को ही अपने सर पर कोई भी कपड़ा अवश्य ही रखना चाहिए अर्थात दोनों का सर ढंका होना चाहिए ।
बहने अपने भाइयों को टीका लगाने के लिए एक थाली तैयार करें उसमें रोली, अखण्डित अक्षत( चावल ), मिष्ठान, नारियल, और पान रखा हो। ( बहुत स्थानों पर बहने अपने भाइयों का तिलक करने के बाद उनकी आरती भी उतारती है।)
मस्तक पर टीका लाल रोली का लगाएं तथा उसके बाद अक्षत या खीलें भी अवश्य ही लगाएं ।
भाई दूज के दिन बहनो को चाहिए कि वह अपने भाइयो को टीका लगाने के बाद उनका मुहँ मीठा करवाकर भोजन के बाद उन्हें अपने हाथो से पान भी अवश्य ही खिलाएं, इससे भाइयों का सौभाग्य बढ़ता है उन्हें धन, यश की प्राप्ति होती है ।
इस दिन भाइयों को चाहिए कि वह अपनी बहनो को अपनी समर्थ के अनुसार उपहार अवश्य ही दें इससे कार्यों में अड़चने नहीं आती है धन लाभ का मार्ग प्रशस्त होता है ।
इस दिन भाइयों को अपनी बहनो को संतुष्ट करके अपने सिर एवं पीठ पर उनका हाथ फिरवा के आशीर्वाद अवश्य ही लेना चाहिए, इससे भाइयों के पास कोई भी संकट उन्हें छू भी नहीं पाता है ।
तो यह थे दीवाली के पाँच दिनों का महत्व । माना जाता है की इन पांचो पर्वों को उपर्युक्त विधि से पूर्ण श्रद्धा एवं उल्लास से माने से व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है । दोस्तों हमने बहुत ही सरल और सूक्ष्म तरीके से इनका महत्व बताने की कोशिश की है और इनमे किसी भी प्रकार के अतिरिक्त व्यय की आवश्यकता नहीं है बस आप को पूर्ण विश्वास से इनका यथासंभव पालन करना होगा ।
हमें पूर्ण विश्वास है की विघ्न विनाशक गणपति गणेश और माँ लक्ष्मी की कृपा आप पर अवश्य ही होगी , हमारी ईश्वर से प्रार्थना है की आपकी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति हो ।
इस दिन प्रत्येक पुरुष को अपनी छोटी बहिन के घर भोजन करना चाहिए , अगर छोटी बहन न हो तो बड़ी या रिश्ते की किसी भी बहन के यहाँ भोजन करना चाहिए , इस दिन प्रत्येक व्यक्ति यदि विवाहित है तो अपनी पत्नी सहित अपने बहन के यहाँ जाये प्रेम से भोजन करें उसके बाद यथाशक्ति अपनी बहन को भेंट दें और तिलक कराएँ तो उसके सौभाग्य में वृद्धि होती है ।इस दिन सभी बहनों को अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनके दीर्घायु की कामना करनी चाहिए ।
इस दिन के लिए स्वयं यमराज ने कहा है की जो व्यक्ति आज के दिन यमुना में स्नान करके बहन के घर उसका पूर्ण श्रद्धा से पूजन करके अपने तिलक करवाएंगे अपनी बहन को पूर्णतया संतुष्ट करेंगे उसके हाथ से बनाया भोजन प्रेम पूर्वक करेंगे वे कभी भी अकाल म्रत्यु को प्राप्त करके मेरे दरवाजे को नहीं देखेंगे । यमराज जी कहते है की इस दिन किसी भी पुरुष को अपने घर में किसी भी दशा में भोजन नहीं करना चाहिए । श्री सूर्य भगवान ने तो यहाँ तक कहा है की जो मनुष्य यम दीतिया के दिन बहन के हाथ का भोजन नहीं करता है उसके साल भर के सभी पुण्य नष्ट हो जाते है ।
आविवाहित बहन के होने पर उसी बहन के हाथों का ही बना भोजन करना चाहिए ।
सनतकुमार संहिता में कहा गया है की जो स्त्री कार्तिक शुक्ल पक्ष की दीतिया को अपने भाई को आदरपूर्वक बुलाकर सुरुचि पूर्वक भोजन कराती है तथा भोजन के बाद उसे पान खिलाती है वह सदा सुहागन रहती है , साथ ही ऐसी बहन के भाई को भी दीर्घ आयु की प्रप्ति होती है .इस लिए इस दिन बहन के हाथों से पान जरुर खान चाहिए ।
लिंग पूरण में वर्णित है की जो कन्या / स्त्री इस दिन अपने भाई का पूजन करके उसको तिलक नहीं लगाती है उसका सम्मान नहीं करती है वह सात जन्म तक बिना भाई के ही रहती है ।
दिन की चर की चौघड़िया -----प्रात: काल 09.00 से 10.30 तक
दिन की लाभ चौघड़िया ----- प्रात: काल 10.30 से 12.00 तक
दिन की अमृत चौघड़िया ---- मध्यान 12.00 PM To 1.30 तक
अत बहने अपने भाइयो को 09.00 से लेकर 1.30 बजे तक शुभ चौघड़िया के अनुसार भी टीका लगा सकती है |
इसी तरह 1 नवम्बर मंगलवार को भईया दूज में भाइयों को तिलक करने का शुभ मुहूर्त भाई दूज टीका मुहूर्त =13.15 से 15.26 तक अवधि = 2 घण्टे 11 मिनट्स अत: इस समय बहनो को अपने भाईयों को तिलक करना चाहिए ।
इस दिन राहु काल (अशुभ समय) दिन -3:00 से 4:30 तक है अतः राहु काल में बहनो को भाइयो को टीका बिलकुल भी नही लगना चाहिए
भाई दूज के दिन भाइयों को अपनी बहनो के यहाँ जाकर टीका लगवाना चाहिए।
भाई दूज के दिन भाइयों को अपनी बहनो के घर में ही भोजन करना चाहिए अपने घर में नहीं ।
भाई दूज भाई - बहन के स्नेह का, सौभाग्य का पवित्र पर्व है अत: इस दिन शुभ मुहूर्त का अवश्य ही ध्यान दें , टीका सदैव शुभ मुहूर्त में ही टीका लगवाना चाहिए।
बहने अपने भाइयों को टीका लगाते हुए यह ध्यान रखे कि भाइयों का मुखँ पूर्व दिशा की ओर हो , टीका लगाते हुए भाई एवं बहन दोनों को ही अपने सर पर कोई भी कपड़ा अवश्य ही रखना चाहिए अर्थात दोनों का सर ढंका होना चाहिए ।
बहने अपने भाइयों को टीका लगाने के लिए एक थाली तैयार करें उसमें रोली, अखण्डित अक्षत( चावल ), मिष्ठान, नारियल, और पान रखा हो। ( बहुत स्थानों पर बहने अपने भाइयों का तिलक करने के बाद उनकी आरती भी उतारती है।)
मस्तक पर टीका लाल रोली का लगाएं तथा उसके बाद अक्षत या खीलें भी अवश्य ही लगाएं ।
भाई दूज के दिन बहनो को चाहिए कि वह अपने भाइयो को टीका लगाने के बाद उनका मुहँ मीठा करवाकर भोजन के बाद उन्हें अपने हाथो से पान भी अवश्य ही खिलाएं, इससे भाइयों का सौभाग्य बढ़ता है उन्हें धन, यश की प्राप्ति होती है ।
इस दिन भाइयों को चाहिए कि वह अपनी बहनो को अपनी समर्थ के अनुसार उपहार अवश्य ही दें इससे कार्यों में अड़चने नहीं आती है धन लाभ का मार्ग प्रशस्त होता है ।
इस दिन भाइयों को अपनी बहनो को संतुष्ट करके अपने सिर एवं पीठ पर उनका हाथ फिरवा के आशीर्वाद अवश्य ही लेना चाहिए, इससे भाइयों के पास कोई भी संकट उन्हें छू भी नहीं पाता है ।
तो यह थे दीवाली के पाँच दिनों का महत्व । माना जाता है की इन पांचो पर्वों को उपर्युक्त विधि से पूर्ण श्रद्धा एवं उल्लास से माने से व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है । दोस्तों हमने बहुत ही सरल और सूक्ष्म तरीके से इनका महत्व बताने की कोशिश की है और इनमे किसी भी प्रकार के अतिरिक्त व्यय की आवश्यकता नहीं है बस आप को पूर्ण विश्वास से इनका यथासंभव पालन करना होगा ।
हमें पूर्ण विश्वास है की विघ्न विनाशक गणपति गणेश और माँ लक्ष्मी की कृपा आप पर अवश्य ही होगी , हमारी ईश्वर से प्रार्थना है की आपकी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति हो ।